Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय कान्हा

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रोज कान्हा करे शरारत है। 
आ रही गोपियोंं की शामत है। 

रोज फोड़े दही भरी मटकी। 
मानता ही नहीं मुसीबत है। 

रोज वंशी बजा सताता है। 
चैन लूटे सभी का आफत है। 

माँ  यशोदा जरा इसे समझा
गोपियाँ कर रही शिकायत है। 

गोपियाँ झूठ तुम सदा बोलो
यह तुम्हारी बुरी तो आदत है। 

श्याम तुम ही रहे मिरे दिल में
श्याम तेरी ह्रदय में मूरत है। 

जो सहारा मिले तिरा कान्हा
फिर किसी की नहीं जरूरत है। 


🙏🌹 *सुप्रभात जी* 🌹🙏
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर 

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9 Comments

Khan

28-Oct-2022 12:15 PM

Bahut khoob 💐👍

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बहुत ही सुंदर सृजन

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Suryansh

28-Oct-2022 06:55 AM

बहुत ही सुंदर सृजन

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